उन्होंने अपने घर में एक विशेष कमरा बनवाया और लक्ष्य तक पहुँचने के लिए अपने दिन और रात उसी कमरे में बिताने लगे. उनके माता-पिता गाडे सम्मैया और निर्मला ने उन्हें इस संबंध में बहुत प्रोत्साहित किया. भले ही वह पहले प्रयास में असफल रहे, लेकिन साई लेनिन ने प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने के प्रति अपना आत्मविश्वास, इच्छा शक्ति, प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प कभी नहीं खोया. (सांकेतिक तस्वीर, साभार – फ्रीपिक)